महराजगंज परिवहन विभाग में पत्रावलियों को दफनाने का चौंकाने वाला मामला आया सामने

महराजगंज। जनपद महराजगंज के परिवहन विभाग में गंभीर अनियमितताओं का सनसनीखेज मामला सामने आया है। आरोप है कि लगभग 25,000 पत्रावलियां—जो वाहनों के ट्रांसफर, फिटनेस और लाइसेंस से संबंधित थीं—बिना किसी वैधानिक वीडिंग प्रक्रिया के अवैध तरीके से नष्ट कर दी गईं। इन पत्रावलियों को 20 जुलाई को रविवार के दिन जेसीबी मशीन से गहरा गड्ढा खुदवाकर दफना दिया गया, और पूरे प्रकरण का कोई रिकॉर्ड भी विभाग में मेंटेन नहीं किया गया।

सूत्रों के मुताबिक, घटना के दौरान संबंधित क्षेत्र के सभी सीसीटीवी कैमरों का रुख जानबूझकर दूसरी दिशा में मोड़ दिया गया, ताकि कोई दृश्य साक्ष्य रिकॉर्ड न हो सके। आरोप है कि यह कार्रवाई परिवहन विभाग के चर्चित प्रधान सहायक शिवरतन लाल की मौजूदगी में हुई। बताया जा रहा है कि इनके पास कंप्यूटर का ज्ञान न होने के बावजूद वे ‘मलाईदार’ पटल पर पदस्थ हैं और निजी दलालों के माध्यम से विभागीय कार्य करवाने के मामले में पहले भी चर्चा में रह चुके हैं।

इस मामले में कई गंभीर बिंदु उठ रहे हैं—

प्रशासनिक जालसाजी और शासनादेश का उल्लंघन।

जनता से जुड़ी महत्वपूर्ण पत्रावलियों को गायब कर सरकारी रिकॉर्ड से छेड़छाड़।

वीडिंग प्रक्रिया का पालन न होने से लाखों रुपये की राजकोषीय क्षति।

कार्यालय के साक्ष्य मिटाने के लिए सीसीटीवी में छेड़छाड़।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि एआरटीओ मनोज सिंह का कथित बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई जिलाधिकारी के निर्देश पर की गई है। फिलहाल, इस मामले ने विभागीय कामकाज और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।


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